नई दिल्ली। भारत अब केवल कूटनीतिक मोर्चे पर ही नहीं, व्यापारिक क्षेत्र में भी दुश्मन समर्थित ताक़तों को माक़ूल जवाब देने को तैयार है। होटल ललित, नई दिल्ली में कांफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आयोजित एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय अधिवेशन में, देशभर से आए व्यापारियों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि तुर्की और अज़रबैजान जैसे भारत विरोधी देशों का सम्पूर्ण व्यापारिक बहिष्कार किया जाएगा।
यह निर्णायक कदम स्वदेशी जागरण मंच के सहयोग से उठाया गया, जिसमें कैट के वरिष्ठ पदाधिकारी बी. सी. भरतीया और सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कार्यक्रम का नेतृत्व किया। अधिवेशन में भारत के कोने-कोने से आए व्यापार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और सर्वसम्मति से इस ऐतिहासिक निर्णय को समर्थन दिया।
क्या होगा बहिष्कार के दायरे में?
इस राष्ट्रव्यापी अभियान के अंतर्गत:
- तुर्की एवं अज़रबैजान से होने वाले आयात एवं निर्यात पर रोक लगेगी।
- इन देशों के साथ सभी प्रकार के व्यापारिक टूरिज़्म, बिजनेस डेलीगेशन, और ट्रैवल सेवाओं का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।
- तुर्की व अज़रबैजान में शूट की गई फिल्मों, टीवी शोज़ या किसी भी मनोरंजन सामग्री का प्रसारण, प्रदर्शन और वितरण पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
- ई-कॉमर्स और खुदरा व्यापार में इन देशों से जुड़ी वस्तुओं को सप्लाई चेन से हटाने की पहल की जाएगी।
राष्ट्रवाद की मिसाल: स्मृति ईरानी का उद्बोधन
अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में पधारीं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने इस पहल को राष्ट्रभक्ति की सच्ची मिसाल बताते हुए कहा कि जब देश का व्यापारी अपने व्यापारिक हितों को राष्ट्रहित के लिए त्यागने को तत्पर हो, तो यह केवल नीतिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन बन जाता है। छोटे व्यापारी देश की रीढ़ हैं और आज वे फिर से यह साबित कर रहे हैं कि राष्ट्र पहले है, बाकी बाद में।
उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान न केवल भारत के आत्मसम्मान की रक्षा करेगा, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देगा कि भारत अपने विरोधियों को हर मंच पर करारा जवाब देना जानता है।
व्यापारी संगठनों की भूमिका और आगामी योजनाएं
कार्यक्रम में रमेश गुप्ता, भूपेंद्र जैन, सुनील अग्रवाल, और धर्मेन्द्र शर्मा जैसे कई प्रमुख व्यापारी नेता भी मौजूद रहे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय एक दिन की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि लंबे विचार-विमर्श और राष्ट्रहित के गहन चिंतन का परिणाम है।
जल्द ही प्रदेश स्तर पर बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें:
- हर राज्य के व्यापारिक संगठनों को इस मुहिम से जोड़ा जाएगा।
- व्यापारियों को विकल्प दिए जाएंगे ताकि उनका व्यवसाय भी सुरक्षित रहे और बहिष्कार भी प्रभावी हो।
- स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की नई रणनीति पर काम किया जाएगा।
एकजुटता का प्रतीक बनेगा यह अभियान
यह अभियान सिर्फ एक व्यापारिक निर्णय नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना का पुनर्जागरण है। इसमें न केवल बड़े व्यापारी, बल्कि गांव-शहर के छोटे दुकानदार, ट्रेड एसोसिएशन्स और युवा उद्यमी भी बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। यह पहली बार है जब देश का व्यापारिक वर्ग इतनी एकजुटता से भारत विरोधी शक्तियों के विरुद्ध खड़ा हुआ है।
यह कदम प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन को भी मजबूती देगा।