वक्फ बोर्ड में मेंबर की नियुक्ति पर बड़ा फैसला, करना होगा इन शर्तों का पालन

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नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून से संबंधित मामला चल रहा है, जिसमें अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है. यह निर्णय राज्य वक्फ बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति से जुड़ा हुआ है. देशभर में मुस्लिम समुदाय इस कानून का विरोध कर रहा है, और इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है. हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाई कोर्ट के एक निर्णय को खारिज करते हुए नया आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार यदि कोई वकील राज्य बार काउंसिल में किसी पद पर नहीं है, तो वह राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और राजेश बिंदल की बेंच ने स्पष्ट किया है कि केवल संसद, राज्य विधानसभा या राज्य बार काउंसिल के सक्रिय सदस्य और मुस्लिम व्यक्ति ही वक्फ बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं. कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट के उस निर्णय को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बार काउंसिल का सदस्य न रहने पर भी कोई व्यक्ति वक्फ बोर्ड का सदस्य बना रह सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि वक्फ कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बार काउंसिल से बाहर हो जाता है, तो उसकी वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी समाप्त मानी जाएगी.

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए दो आवश्यक शर्तें पूरी करनी अनिवार्य हैं.

    व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से हो.
    संसद, राज्य विधानसभा या बार काउंसिल के सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभाना.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट के उस निर्णय को गलत ठहराया, जिसमें कहा गया था कि कानून में यह स्पष्ट नहीं है कि बार काउंसिल से बाहर होने पर वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी समाप्त हो जाएगी.

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ये है पूरा मामला
मणिपुर के मो. फिरोज अहमद खालिद को फरवरी 2023 में मणिपुर वक्फ बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया. इससे पहले, वे दिसंबर 2022 में बार काउंसिल के सदस्य चुने गए थे, जहां उन्होंने एक हारने वाले सदस्य की जगह ली थी. प्रारंभ में हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति को मान्यता दी, लेकिन बाद में डिवीजन बेंच ने इस निर्णय को पलट दिया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बार काउंसिल से बाहर होने पर वक्फ बोर्ड की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी.

भारत में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या को लेकर विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में भिन्न-भिन्न आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं. हालांकि, 2022 में भारत सरकार ने जानकारी दी कि देश में 7.8 लाख से अधिक वक्फ की अचल संपत्तियां मौजूद हैं. इनमें सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश वक्फ के पास है, जहां लगभग दो लाख से अधिक अचल संपत्तियां स्थित हैं.

सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि 2009 के बाद वक्फ की संपत्तियों में दोगुने का इजाफा हुआ है. अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में लोकसभा में जानकारी दी थी जिसके अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं. लगभग 9.4 लाख एकड़ वक्फ की जमीनों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ है. भारत में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की संख्या को लेकर मीडिया में विभिन्न आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं. 2022 में भारत सरकार ने बताया कि देश में 7.8 लाख से अधिक वक्फ की अचल संपत्तियां हैं. इनमें सबसे अधिक संपत्तियां उत्तर प्रदेश वक्फ के पास हैं, जहां लगभग दो लाख से अधिक अचल संपत्तियां स्थित हैं.

सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष के कई नेताओं ने इस कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं, जिनकी पहली सुनवाई 17 अप्रैल को हुई थी. इस सुनवाई के दौरान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट पेश करते हुए आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक इस कानून के किसी भी विवादास्पद प्रावधान को लागू नहीं किया जाएगा. अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित है. इस बीच, मुस्लिम समुदाय देशभर में इस कानून के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहा है.

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