सुरक्षित मातृत्व  के लिए उठाए सही कदमों से जीवन बचेगा, घटेगी मातृ मृत्यु दरः डॉ. वीणा सिन्हा

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भोपाल। सामाजिक संस्था सरोकार द्वारा आज यहां स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कस्तूरबा गांधी की जयंती को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रुप में मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रशासनिक अधिकारी और साहित्यकार डॉ. वीणा सिन्हा ने कहा कि असमय मातृ मृत्यु भूचाल की तरह है। एक ही पल में जीवन की रोशनी गुम हो जाती है। एक ऐसा झंझावात जो घर उजाड़ देता है। इसके कारण जानें तो  निवारण किया जा सकता है। मातृ मृत्यु एक दिन में नहीं होती। उसके लक्षणों को पहचान कर सही वक्त पर कदम उठाए जा सकते हैं।

सरोकार कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में संत हिरदाराम इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट की छात्राएं मौजूद थीं। कार्यक्रम में डॉ. वीणा सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षित मातृत्व बेहतर स्वास्थ्य से जुड़ा हर स्त्री का अधिकार है और यह लैंगिक समानता और गरिमा जैसे जीवन मूल्यों से जुड़ा मामला भी है। मातृत्व से जुड़ी जानकारी उनके लिए भी जरूरी है जो भावी माता के करीब हैं,  क्योंकि पोषण, खतरनाक लक्षणों की जानकारी, बचाव के उपाय जितने अधिक लोगों को पता होंगे,  हम सुरक्षित मातृत्व के लक्ष्य तक उतनी आसानी से पहुंच सकते हैं। शासकीय कार्यक्रम चलते रहेंगे हम भी कदम उठा कर उस दिशा में बढ़े तो बेहतर होगा। उन्होंने छात्राओं को लेकर कहा कि जिंदगी की नई दहलीज पर खड़ी बेटियों के सवालों का जवाब देना बहुत जरूरी है।

कार्यक्रम में संस्था की सचिव कुमुद सिंह ने बताया कि 2003 से पूरे देश में 11 अप्रैल कस्तूरबा जयंती को सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, उस दौर में गर्भवती स्त्री और परिवारजनों को पोषण आहार, टीकाकरण के प्रति अपेक्षित जागरूकता नहीं होने से बड़ी संख्या में बच्चे को जन्म देने वाली माताओं की असमय मृत्यु हो जाती थी। मातृ मृत्यु कम करने की दिशा में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। कार्यक्रम में इंटर्न छात्राओं ने 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा गांधी के निधन पर रेडियो बर्मा से प्रसारित नेताजी सुभाष चंद्र बोस के वक्तव्य का पाठ भी किया।

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